पुरस्कृत हुई।
प्रबुद्ध पैनल द्वारा।
स्थिति का मौन
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
मांगता अब कौन है!
कर सकें, जो व्यक्त हैं,
भाव वह कौन है?
चैतन्य न थे,
समय पर,
इसका हमको बोध है।
किंतु क्या! तुम को?
स्वयम के किये पर खेद है?
क्या परिधि है,
है प्रणय की,
सोचता अब कौन है!
असंख्य प्रज्जवलित दीप में,
बुझ गया कब
कौन है।
बुझ गयी नीरान्जन
ह्रदय की,
अब तो सिर्फ
मौन है। 🙏