Sunday, 21 January 2024

gahan vipin

गहन बिपिन की ध्वनियों को
  पहचानता हूं मैं.
     हर किरण से मिलते,
उल्लास को स्वीकारता हूं मैं.
     अनहद नाद के स्पंदन से
    स्वयं को जोड़ पाता हूं.


अहं ब्रह्मास्मी के भावार्थ को
अब बोध कर
पाता हूँ मैं.

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